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बलना

एक नाम शहर का पुराना, एक ख़्वाब जाना पहचाना, एक वक्त आना-जाना... कभी उगते हुए सूरज सा उजाला कभी डूब जाने को तैयार अंधियारा, शहर एक ख़्वाब का, क्यों न ख़्वाब शहर ही कहूँ, शहर का जन्मना अक्सर किसी को याद नहीं रहता, एक शहर का मर जाना इतिहास में दर्ज हो जाता है।

मैं और मेरी जिंदगी...

बड़ी हसरतों से बोए थे दो ख्वाब, एक सुबह ने तोड़ी, एक शाम ने..