अतीत के फैसले
लेते रहे फैसले बेतुके, बढ़ते रहे फासले बेतुके, हम ढांकते रहे, वो गलतियां दोहराये तिहराये, हमें सुकूँ न रहा, उन्हें जुनूँ न रहा, भारी पड़ते रहे, पर हम लेते रहे, बड़े दुख भरे से दिखे, पीछे जो देखा, बड़े बोझिले से दिखे मुझे अतीत के फैसले।
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)