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हाथ की चंद रेखाओं का खेल है देखो, कोई मुकद्दर बन गया, कोई बिछड़ गया,
नींद न मार, खुद को उनींदा न कर, जो मर गया प्रेम, उसका मरने दे, यूँ घड़ी-घड़ी न सता, उसे जिंदा न कर, होंगी कुछ खूबियां भी तेरे यार में, यूँ हर बात में उसकी निंदा न कर, नींद न मार, खुद को उनींदा न कर।