वक्त कब बदलता है
सूरज उगे या डूबे हमे क्या हमें तो अपने प्रकाश से उजाला बिखेरना है मंज़िल दूर हो या पास हमें क्या हमें तो बस चलना है वक्त कब बदलता है बदलना तो हमें है शाम नही बदलती सुबह फिर वही ...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)