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Showing posts from October, 2016

वक्त कब बदलता है

सूरज उगे या डूबे हमे क्या हमें तो अपने प्रकाश से उजाला बिखेरना है मंज़िल दूर हो या पास हमें क्या हमें तो बस चलना है वक्त कब बदलता है बदलना तो हमें है शाम नही बदलती सुबह फिर वही ...

बूढ़ा गया अपना पहाड़

ये क्या! कहाँ खो गयी हरियाली मैं केवल यही देख सका इतने बरस तो हुए नहीं बूढ़ा गया अपना पहाड़ सच में हरे-भरे जंगलों से भरा था आज बूबू के सिर जैसा टकला अपना पहाड़ सुरक्षा के लिए, सुवि...