पशोपेश
अजीब सी पशोपेश है ज़िन्दगी सच नज़र नहीं आता झूठ समझ नहीं आता मैं तेरे साथ तो हूँ पर तू दिल में ही आता है जुबाँ पे नहीं आता तेरे जैसा सितमगार नहीं कि यूँही याद आके मुड़ जाऊँ मैं तो ...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)