समर्पित......
ये क्या उदास बैठी हो, कभी मुस्करा भी दो ना। ऐसे क्यो लटकाया है अपना प्यारा मुखड़ा, कभी खिलखिला भी दो ना। यूं ही बर्बाद कर दोगे ये कीमती आंसू, इनको मेरी तिजोरी से रखवा दो ना। खूब...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)