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Showing posts from June, 2017

समर्पित......

ये क्या उदास बैठी हो, कभी मुस्करा भी दो ना। ऐसे क्यो लटकाया है अपना प्यारा मुखड़ा, कभी खिलखिला भी दो ना। यूं ही बर्बाद कर दोगे ये कीमती आंसू, इनको मेरी तिजोरी से रखवा दो ना। खूब...

जाहिर है।

कभी-कभी यूँही कुछ शब्द कब रचना बन जाते है पता ही नहीं लगता आज ही थोड़ा सा अनकहा महसूस हो रहा था तो पाएलो कायलो की जाहिर पढ़ने बैठ गया तो कब कुछ लाइन्स निकल गयी पता ही नहीं चला- 👇 ये ...