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Showing posts from September, 2017

एक सपना ही तो है।

तू है तो सुनहरा बहुत, पर ख्वाब ही तो है! आज नहीं तो कल टूट जाएगा, बस एक काँच सा रिश्ता ही तो है! ये प्रलय- सा मन में मेरे क्यों उठा है बता जरा, तू सपनों का हेडक्वाटर नहीं मेरे, बस एक सप...

माँ

क्या लिखूँ कि क्या लिख दूँगा, तू कलम में समाती नहीं कभी। कभी सोचूँ भुला के आगे जाऊँ कहीं दूर चोट लगते ही फिर आ जाती है, तू माँ है ना, जाती नहीं कभी। तेरे नाम का दीया तो जलाता नहीं ...