"बचपन का शौक"
कई दफ़ा सोचा कि मैं भी इस गोल-गोल से घूमने वाले चरखे में बैठूँ.......वो वक़्त जो था वो बचपन था , ज़िस्म के बाजू में छुपा छुटमुट सा बचपना भी कहीं समेट रखा था,,, मेलों में जाकर ब...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)