आज मैं बेगार लिखता हूँ।
संघर्षों की लहरें नहीं, शांति का कगार लिखता हूँ, चमचमाते शहर नहीं, अंधकार का पहाड़ लिखता हूँ, ताजा समाचार नहीं, रात्रि छप जाने वाला अखबार लिखता हूँ, सपनों की कब्र पर महिनान्त म...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)