आज मैं बेगार लिखता हूँ।
संघर्षों की लहरें नहीं, शांति का कगार लिखता हूँ,
चमचमाते शहर नहीं, अंधकार का पहाड़ लिखता हूँ,
ताजा समाचार नहीं, रात्रि छप जाने वाला अखबार लिखता हूँ,
सपनों की कब्र पर महिनान्त मिलने वाली पगार लिखता हूँ,
आज मैं बेगार लिखता हूँ..
प्रगति की मिश्री नहीं, ठप पड़ा कारोबार लिखता हूँ,
बेखौफ गुनहगार और खौफजदा थानेदार लिखता हूँ,
स्थिर मजदूर और गतिशील ठेकेदार लिखता हूँ,
नीति का नवाचार नहीं, राजनीति का प्रतिकार लिखता हूँ,
युवा हृदय के धधकते अंगार लिखता हूँ,
आज मैं सरकार नहीं, बेरोजगार लिखता हूँ,
आज मैं बेगार लिखता हूँ...
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