क्या! अरे..
एकांत! उस तरफ पीठ, निगाहें! भीगी हुई डीठ, मैला आँचल! नई फसल की रीठ, सर्द हवा! जली हुई अंगीठ, छुरा! मित्र की पीठ, शर्म! बेहया अव्वल ढीठ, पहचान! कद बड़ा गरीठ, गुण! जैसे फल कवीठ, ज्ञान! चला...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)