वक्ती इश्क़
एक शहर था,
मैं था,
ठिया था,
ठियेदारी थी,
अर्जी थी,
अर्जीनवीस थे,
बातें थी,
रातें थी,
कुछ नींद थी,
कुछ उनींद थी,
शहीदी की जमात थी,
तरकस था,
तीर थे,
अनेकों मगर वीर थे,
एक तीर,
मगर सटीक,
खाली करना भी था,
भरना भी था,
पहचान भी थी,
जानना भी था,
भरोसा नहीं भी था,
मानना भी था,
वक्ती,
मगर इश्क़ नहीं,
वक्ती था साथ,
वक्ती थी बात,
वक्ती थी जमात,
खोज वक्ती थी,
फौज वक्ती थी,
वक्ती मगर इश्क़ नहीं.....
वक्ती वो सफर था,
बेवक्ती वो साथ..........
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