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Showing posts from September, 2021
बस कह देना आसान होता है, निभाना मुश्किल इसे, जीवन है जाना, फिसलन होना आम है इस सफर में, बिगाड़ देना आसान होता है उसे, होता है बनाना मुश्किल जिसे।

भा. ति. सी. पु.

उत्तर में महान हिमाल है, उसमें हिमवीरों का कमाल है,    दृढ़ कर्म निष्ठता का सवाल है, शौर्यता की ढाल है,       बर्फ पड़ी निढाल है, उसमें चीते सी चाल है। घर परिवार को रख किनारे, शीत में कटता पूरा साल है।    देश के लिए हीर है तो हम ही रांझे की तस्वीर है। शीत ही नदियां, शीत ही घर, शीत ही रहता नीर है, सीमा पर डटे रहते हमेशा भा.ति.सी.पु. के वीर है,     आपदा के महावीर है, फौलादी शरीर है,  पर्वत को देते चीर है, सीमा सुरक्षा की नजीर है,    बर्फ के राहगीर है, गर्म हमारी तासीर है।   कभी अधीर शौर्य है, कभी धैर्य की अजमाइश है, मुखिया अब तक पैंतीस हुए है, बासठ की पैदाइश है।        अशांति में अधीर है, शांति में कबीर है,   सीमा पर डटे रहते हमेशा हिमवीर है, हिमवीर है।

"सुभ"+"अंश" सुभांश

आज 11वां दिन तुम्हें अब तक उकेर भी नहीं पाया हूँ तुम्हें बेटा! सुनो अंश जब तुम बड़े होओगे तो पढ़ना कितना नासमझ, बेतरतीब बाप है तेरा। बेटा थोड़ी देर में नामकरण होना है अब तुम सांसारिक संस्कारों का हिस्सा बन चले हो बेटा, अब तुम्हें बस इसी पाश में बंधे रहना है।  बेटा तेरा दुनिया मैं आना बड़ा अप्रत्याशित था, दिन 8 सितंबर, मेरी इजा की पुण्यतिथि के 4 दिन बाद।  तेरी इजा को सुबह फोन किया तो उदासी थी उसके लहजे में पूछने पर बताया कि हल्का दर्द है। मैंने यूँही कह दिया डॉ. के पास चले जाओ। दिन तक मानी नहीं दर्द भी हल्का था पर दिन के बाद वो चले ही गई आखिर डॉ. के पास वहाँ पहुंचकर उसने फोन किया और कहा कि स्थिति थोड़ी अजीब है डॉ कह रही है गर्भ में तेरे संरक्षण को जो पानी था वो रिस गया है और तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा। तेरी इजा बेटा बहुत साहसी है तेरे बाप सी डरपोक नहीं, उसके ये कहने पर मैं अपने ऑफ्फिस में था और मैं हड़बड़ा कर रह गया। मैं तुरंत घर को निकला कपड़े पैक किये और चल दिया तेरी इजा की तरफ। मेरा दिमाग सुन्न हो चला था अक्सर हो जाता है ऐसे मामलों में। कुछ सूझ नहीं रहा था शाम के 5 बजने को थे और तुम आन...

09 साल

               फिर आता है ये दिन मुझे कटोचने, मेरी सफर की शून्यता बटोरने,                मेरे जेहन के चिथड़े समेटने।
शहर कैसा लगा? लोग कैसे लगे.? छोड़ गए थे जिन्हें अगवानी को आये वो लोग कैसे लगे.? शहर की वो गली कैसी लगी ? गली के लोग कैसे लगे.? कुछ जाने-पहचाने से अजनबी लोग कैसे लगे.?