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Showing posts from October, 2025
खुद को गिराने में खुद भी भूमिका तो रही होगी, उन्हें अंधेरा लगा हमारे हृदय में बहुत। अंधेरा न सही खैर धूमिका तो रही होगी।
करनी पड़ती है जल से गहरी दोस्ती, आसाँ नहीं सफर-ए-सैल।            सब कुछ नजर भर से है यहाँ, परिधान हो बेशमीमती पहने, या फिर  हो मन का मैल।।