बिन इजा के
घर से बहुत दूर हो गया बिन इजा के कुमार से मज़दूर हो गया बिन इजा के तन्हा मगर सारथी हो गया बिन इजा के मय का साथी हो गया बिन इजा के बिना दिये का बाती हो गया बिन इजा के मेरे जज्बातों क...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)