बिन इजा के

घर से बहुत दूर हो गया बिन इजा के
कुमार से मज़दूर हो गया बिन इजा के

तन्हा मगर सारथी हो गया बिन इजा के
मय का साथी हो गया बिन इजा के
बिना दिये का बाती हो गया बिन इजा के

मेरे जज्बातों की फ़िक्र करे कोई तेरे सा कहाँ है इजा
रहने से तेरे दुनिया थी सब था
अब तो दुनिया भी नारास्ती हो गयी बिन इजा के

सच कहता हूँ दोस्तों ये ताने मारने वाले लोग भी अपने से लगने लगे है बिन इजा के
बिना सपने के जीने लगा हूँ बिन इजा के
अपने ही सताने लगे है बिन इजा के

लोग बयाँ करते है घर की बातें बहुत
कैसे बताऊँ मेरा भी एक घर है पर बिन इजा के
सभी रहते है माँ के साये बस मैं ही हूँ बिन इजा के

बदरंग जिंदगी है हर तरफ अँधेरा
पर मैंने हर रंग जिया है बिन इजा के
हराने को दौड़ती ज़िन्दगी हर तरफ तूफाँ पसरा है
पर मैंने भी जीत देखी है बिन इजा के

बचपन में जब कभी बादल गरजने से ही डरते थे दामन में सर छुपा लेते थे
अब तो तमाम उम्र गरजते हुए बादलों में जीना है बिन इजा के
कभी साहस नहीं होता आगे चल सकूँ
कदम दर कदम जीने को मजबूर करता है बिन इजा के

कोमल बनना शान्त रहना सिखाया था बालपने में पर
ठोस दुनिया की कठोर सी बातें सीखता हूँ हर रोज़ बिन इजा के

एक अन्कसा सा जीवन जी रहा हूँ बिन इजा के
रोज़ जी-जी के मर रहा हूँ बिन इजा के
कमियां उसकी बहुत भारी है पर
जीवन हल्का जी रहा हूँ बिन इजा के

रंगहीन होली, अंधियारी दिवाली देख रहा हूँ बिन इजा के
बस छोटी सी तर्स कर दे खुदा किसी को ना जीना पड़े कभी बिन इजा के

Comments

  1. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ ...👍👍👍

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