जीना न आया
गरल था या सुधा था बहुत, बस मुझे ही पीना न आया। जिंदगी घुली थी वहां, बस मुझे ही जीना न आया।। साथ मिला भी दूर तलक, बस मुझे ही चलना न आया। गिरते-पड़ते रहने को पहाड़ सा सफर था, बस मुझे ही ग...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)