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Showing posts from May, 2019

ईजा कहाँ से लाऊंगा

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थक सा गया हूँ साहब कितना चलूंगा..? सामर्थ्य खत्म हुआ अब, मैं अजा कहाँ से लाऊंगा..? थक-हार मां की गोदी में सिर रख देते होंगे न तुम साहब, गोद किराए की मिले भी अब, मैं ईजा कहाँ से लाऊंगा..? लम्बा सफर है जीवन का ज्योतिष कह गया था मुझे, अगर चाहूं तो भी कजा कहाँ से लाऊंगा..? सब हैं साहब यहाँ, पर मैं ईजा कहाँ से लाऊंगा...?

एक कमीज वाला-2

आज फिर देखा मैंने वो लड़का ............................. हाँ.......!   वही "एक कमीज वाला"...      उसका बचपन बड़ा अजीब था..."ना कागज की कश्ती थी ना बारिश का पानी, था तो एक अभाव में पनपा शरीर और एक अनसुलझा धागा इस दौर-ए-ज़...

"बैशाखी पौधा"

....      भादो मास के थपेड़ों को सहकर भी उसने हिम्मत की थी एक बीज को बो कर उसे परवरिश देने की,, अपनी बंजर हो चुकी ज़मीन पर दस साल बाद ये बीज कहीं बोया ,,, मालूम उसे भी नहीं था कि ज़मीन फिर से ...