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Showing posts from September, 2019

साला दोस्त

बात उन दिनों की है जब हम दुनिया की सैर किया करते थे, अलग-अलग देशों के नाम अपने अनुसार रख लिया करते थे। उस शाम एक अलग रूप देखने को मिला उसका जब हम अफ्रीकी देशों में घूमते हुए नया ब...

तो क्या....बुरा किया ?

"सुमन" की चाह में मैंने कंटकों से दूरी बना डाली         तो क्या.........बुरा किया??? अंधेरों की हुक़ूमत छीन कर सुबह बना डाली       तो क्या.......बुरा किया??? मैं ना कहता था कि एक दिन "सुमन" से सुरभ...

एक और साल बीता

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एक और खुशनुमा साल, बीता तेरे बगैर, खुशफ़हमियां सारी ख़त में लिखी मिलेंगी पढ़ लेना, पढ़ना न आये अब तक भी तो पढ़वाकर कर सुन लेना, सिरोलों की महक़, पिनालु उबले, पा लेता हूँ देख लेना, पांव के छाले, खड़ी चढ़ाई की थकन, जला हुआ खाना भी खा लेता हूँ देख लेना. शाम की तन्हाई, ठंडी-ठंडी छांई, मर जाने की दुहाई कभी दोहराता हूँ सुन लेना, फिर रात भर जगकर देखा है तेरे दर्द को, जरा सी आँख लगी तो मर जाऊँ देख लेना, कुछ रिश्तों की खाइयाँ अब तक वैसी है, तेरे जाने से क्या हुआ, हो सके तो आकर भर देना, अगली दफे खुदा इंसाफ करना, दुनिया छीन लेना पूरी, मां को मेरे हिस्से कर देना... 04 सितम्बर, 2012