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राम

राम राम राम जय श्री राम अंश राम, अंग राम, अम्ब राम, अंतरंग राम, कीर्ति राम, अकीर्ति राम, गम राम, अगम राम, अधिक राम , जगत में हरेक कम  राम। अबोध राम, अभ्यम राम, अभद्र राम, सभ्यम राम।
मेरे राम, मेरी रमायण, मेरी गाथा में न  कोई मंथरा है न कैकई है, कोई विभीषण नहीं  और न कोई रावण है। सब लक्ष्मण, भरत जैसे हैं, सब सुग्रीव, हनुमान से हैं।

इश्क का उत्सव

      इस तरह चलो ये माह चलाएं,      इश्क़ का उत्सव मनायें, प्रेम की डोर में कुछ वासव लायें।             तुम चंदा कहो,            मैं चाँद कहूँ तुम्हें,           तुम छबीला कहो,            मैं बांद कहूँ तुम्हें, तुम कहो मुझे सबेरा,    मैं साँझ कहूँ तुम्हें,          सुमन तुम संगीत कहो,         मैं नाँद-निनाद कहूँ तुम्हें। तुम चंदा कहो,            मैं चाँद कहूँ तुम्हें