अकेली औरत


रूही की ज़िंदगी तलाक के बाद कई सवालों और तानों से भरी हुई थी। समाज की नजरों में वह अब सिर्फ "अकेली तलाकशुदा औरत" थी, जिसकी ज़िंदगी पर लोग अपने हिसाब से राय बनाने लगे थे। लेकिन रूही के लिए यह सफर बस अपने बेटे के भविष्य को संवारने का था। वह अपनी मम्मी बहनों और भाई के घर रह रही थी, मगर कभी-कभी ऑफिस से मिले अपार्टमेंट में भी रुक जाती थी।

ऑफिस में उसके कई साथी थे जिनमें से एक था रोहन। वह उसका सहकर्मी था, लेकिन रूही उसे भाई जैसा मानती थी और सम्मान देती थी। रोहन शादीशुदा था, एक नन्हीं बेटी का पिता भी था, लेकिन उसकी एक कमजोरी थी—शराब। वह अक्सर पीता था, कभी-कभी हद से ज्यादा।

रूही की ज़िंदगी में एक व्यक्ति था—एक दोस्त, जो कभी-कभी उससे मिलने ऑफिस के अपार्टमेंट आता था। रोहन को यह बात खटकने लगी। उसे लगने लगा कि रूही का इस व्यक्ति के साथ कोई रिश्ता है। यह सोचते-सोचते वह रूही के प्रति अपनी सोच बदलने लगा, मानो उसकी 'अकेलापन' किसी और चीज़ की मांग कर रहा हो।


पहली घटना – एक भयानक रात

उस रात रोहन बुरी तरह नशे में था। वह लड़खड़ाते हुए रूही के दरवाजे पर आया।
"रूही, मैं समझ सकता हूँ...तुम अकेली हो…"
रूही ने चौंककर दरवाजा खोलते ही कहा, "रोहन! तुम इस वक्त? और ये क्या कह रहे हो?"
रोहन उसकी आंखों में देखने लगा, "इतनी रात को वह आदमी क्यों आता है? मुझे सब पता है...तुम भी इंसान हो, तुम्हें भी किसी की जरूरत होगी।"

रूही का खून खौल उठा। "बस करो, रोहन! तुम ये क्या बकवास कर रहे हो?"

लेकिन रोहन ने उसकी कलाई पकड़ ली। शराब की गंध से रूही को घिन आने लगी।
रूही ने पूरी ताकत से उसे धक्का दिया, और वह लड़खड़ाकर पीछे हट गया।

"शर्म आनी चाहिए तुम्हें!" रूही गुस्से से बोली।

रोहन ने कुछ देर बाद होश में आकर तुरंत माफी मांगी, "रूही, मुझे माफ कर दो। मैं शराब के नशे में था। मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रहा था।"

रूही ने उसे घूरते हुए देखा। वह जानती थी कि शराब इंसान से गलतियाँ करवा देती है, मगर वह रोहन को एक मौका देना चाहती थी।

"आखिरी बार, रोहन," रूही ने सख्त लहजे में कहा, "अगर दोबारा ऐसा हुआ तो मैं माफ नहीं करूंगी।"

रोहन ने सिर झुका लिया और वहां से चला गया।


दूसरी घटना – जब शराब नहीं थी

कुछ हफ्तों तक सब सामान्य रहा। रोहन रूही के सामने शर्मिंदा रहता, रूही भी इसे भूलने की कोशिश में लग गई थी।

लेकिन फिर एक दिन...

इस बार रोहन बिना पिए आया। उसकी आंखों में नशा नहीं था, मगर इरादे इस बार और भी खतरनाक थे।

"रूही, मैंने बहुत सोचा… हम दोनों अकेले हैं… क्यों न एक-दूसरे का साथ दे दें?"

रूही सकते में आ गई। "रोहन, तुम होश में हो?

"तुम्हें भी किसी की ज़रूरत होगी, कब तक अकेले रहोगी?" रोहन ने आगे बढ़ते हुए कहा।

रूही को समझते देर नहीं लगी कि रोहन के मन में जो बीज शराब ने पहली बार बोए थे, वे अब बिना शराब के ही अंकुरित हो चुके थे।

"बस, बहुत हो गया!" रूही ने गुस्से से कहा और एक ज़ोरदार तमाचा रोहन के गाल पर जड़ दिया।

रोहन बुरी तरह चौंक गया।

"अगर दोबारा मेरे घर के पास भी आए, तो सीधा पुलिस स्टेशन जाओगे!"

रोहन का चेहरा सफेद पड़ गया। उसे यकीन नहीं था कि रूही इतनी मजबूत निकलेगी।


अकेली लेकिन कमजोर नहीं


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