खुद को गिराने में खुद भी भूमिका तो रही होगी, उन्हें अंधेरा लगा हमारे हृदय में बहुत। अंधेरा न सही खैर धूमिका तो रही होगी।
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बबा की पहली बरसी
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पिता-पुत्र से अधिक, ज्यूँ राह के दो पथिक, भोलौलो सीखा, जागर सीखे, सीखे किस्से, सीखी आपसे कहानियाँ, बेशक आपने अपनी दुनिया सिखाई, पर आज वह सब ही दे रहा दूर तक दिखाई, आपसे सीखी ताश की पहचान, संग ही जाम छलका मिटाई थकान, अक्सर ईजा पर बहुत लिखा मैंने पर, बबा! आप मेरे लेखों में समाते ही नहीं, आपकी इच्छाओं और रुचियों का स्थान हमेशा सर्वोच्च है और रहेगा।
शुभकामना संदेश..
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सप्तपदी देखी तेरी, सुकूँ भी देखा चेहरे पर, निभते विधान भी देखा और नव पथ गमन का परिधान भी देखा। बस इतना कहना है ख्वाब शहर के वाशिंदे तुझे:- सजी-धजी भी तुम कलन्दर सी लगी, हालाँकि तुम हर हाल में मुझे सुंदर ही लगी..! टीस ये है कि:- सोचता हूँ होता संग तेरे, बस तोड़ ये डंडीर न सका, प्रेम भरा था हृदय में मेरे भी, मैं हनुमान न बन सका, सीना चीर न सका। 14.05.2025
उजला सा है
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ये श्वेत कुछ जला सा है, ठहराव देखिए उसकी लगता है, वो शख्स दूर तक चला सा है, देख रहा हूँ ये मद्धम अंधियारा, ये अंधियारा कुछ उजला सा है, ये श्वेत कुछ जला सा है। वो गाँव से आया था, गाँव को सीने में लेकर कुछ अजीब नजरों से देखता है, वो शहर में आकर जान लो ये शख्स नया नहीं है बस अनेला सा है ये श्वेत कुछ जला सा है। मेरे किरदार में हँसे जा रहे है इस कदर, मेरा लिहाफ जैसे चलता फिरता चुटकुला सा है ये श्वेत कुछ जला सा है, ये अंधियारा कुछ उजला सा है। *अनेला - यह शब्द कुमाउनी में ऐसे गाय/बछड़े के लिए प्रयुक्त होता है जो पहली बार गौशाला से बाहर निकला हो, आम तौर पर जीवन भर बंधे रहने के कारण उसके लिए बाहर निकलना और चलना भी अजीब सा अनुभव होता है। ऐसे ही व्यक्ति जब शहर की भीड़ में अचानक गाँव से आकर शामिल होता है तो कुछ ऐसा ही व्यवहार करता है।
स्त्री का घर होना..
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बड़ी बातों में मर्दाना, गौरव समझते हैं आप....! एक स्त्री का घर होना, आसान समझते हैं आप..! आपका घर सँवरा है, आपके रिश्ते सँवरे हैं, बाल सँवरे हैं, बच्चे भी सँवरे हैं, स्त्री के होने भर से, समाज के हर पहलू सँवरे हैं. सोच कर देखें..! करते रहे जो आजीवन आपका अनादर, कौन निभाये वो रिश्ते-नाते, राठ-बिरादर, आप तो काट चुके थे कन्नी, मान चुके थे सबको बेगाना, फिर कहता हूं छोड़ दो ये बिन बात का मर्दाना, स्त्री का सम हो जाना नहीं है कोई पाप, एक स्त्री का घर होना, आसान समझते हैं आप..!