तो कहूँ....।
पर पैरों से मन्ज़िल पाई तो क्या ?
अपने पैरों में खड़े होके दिखाओ तो कहूँ!
बने पथ पर दौड़े तो क्या
अपनी राह बनाओ तो कहूँ
सफल बनके हँसे तो क्या
असफल होक मुस्कराओ तो फिर कहूँ
अर्जुन बनके जीए तो क्या
एकलव्य बनों तो फिर कहूँ
तारे बन चमके तो क्या
सूरज बनों तो फिर कहूँ।
21अगस्त 2012
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