आज का युवा

बीत चुका बचपन ढल रही जवानी
अक्ल अब तक न आई
ये है आज के युवा की कहानी

कॉलेज है पूरा होने को आया
अब आगे की है परेशानी

हो गए बाहर हर इंटरव्यू में
अब याद आई मस्तियों की रवानी

पढ़ा होता काश मन लगाकर
हम भी गढ़ते एक नई कहानी

समझाते है जूनियरों को
अरे मत करो ये नादानी

जब कहीं ना मिला कुछ तो
B.Ed   BTC  करने की ठानी

जब नही मिला यहां भी कुछ तो
सरकार को दे दी आंदोलन की चेतावनी

इनको देखकर आज लगता है
बूढ़े में लौट आई जवानी

ये है आज के युवा की कहानी
वो भी एक युवा की जुबानी।।

भगवान धामी
23 अप्रैल 2010 को लिखित।

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