बहुत मज़ेदार है ये हार।
कभी क्रोध भर जाता है तो
कभी ढूंढने लगते प्यार
कभी चलना भी दूबर होता
कभी दौड़ने लगती कार
अन्य विकल्पों को गर सोचें तो
हैं बहुत मज़ेदार ये हार
अहम् भाव को तोड़ती है
सही राह में मोड़ती है
इंसा से फिर जोड़ती है
नया सिखाती हर एक बार
वाकई मज़ेदार है ये हार
मूर्छित सा कर देती है
कभी-कभी जब आती है
कभी ज्ञान भी देती है तो
कभी मुसीबतें हज़ार
पर सबके बाद भी है बहुत मज़ेदार
दुनिया डरकर भागती इससे
पर मैं पूजता माँ के बाद
यही है जननी सबकी
आचार हो या विचार
चाहे कोई कुछ भी कह ले
है बहुत मज़ेदार ये हार
अति उत्तम धामी जी।।।
ReplyDeleteThank U Mam
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