जलजला

अजब जलजला ले आता है,
वो शख्स!

          जब कहीं चले जाने को होता है।

धाराएँ कहीं दूर छिटकती है,
लहरें किनारों में ठहरने को होती है,
आंधियां झोपड़ी छीनने को आती है,
तूफ़ां आपे में नहीं रहता है,

वो शख्स अज़ब जलजला ले आता है।
मोतियाँ सीपों से दूर होने को मचलने लगती है,
एक द्वंद्व बाहर से भीतर को उमड़ने लगता है,

रोशनी आंखों को कैसे सुहाये? 
                     जब आंखें ही रोशनी से भागने लगती है,
उलझनों का नीर सर के ऊपर से बहने लगता है,
वो शख्स अज़ब जलजला ले आता है।

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