रोशनी रास नहीं आ रही सहर की अब,
     ख्वाब तो रंगीन ही हैं रोज की तरह,
    आबो हवा बदल गई है शहर की अब।

कुछ पहचानी सी चल रही है हवा सब पहर की अब,
  मुखातिब होगा जाने वो शख्स किस दोपहर अब....



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