ईजा कैसी थी मेरी
कोई पूछ बैठा ईजा कैसी थी मेरी.
विलक्षण थी, निर्दिष्ट थी
श्लाघ्य थी, दारुण थी
रौद्र थी, संचित थी
पथिक थी, प्राचीर थी
विरक्त थी, पुलकित थी
किंकर्तव्यविमूढ़ थी, विस्मित थी,
अलौकिक थी, महि थी,
मेरी अँखिया थी, अंकोर थी,
इष्टतम थी, उर्मिला थी।
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