भ्रष आचरण का मूलभूत जाति और क्षेत्र वादिता
पिछड़े वर्ग से सम्बंधित आस्था नाम की एक बालिका जो अभी-अभी 12वीं करके मेडिकल की तैयारी में लगी थी उसने मेडिकल में प्रवेश के लिए अनिवार्य परीक्षा उत्तीर्ण तो की किंतु ज्ञात हुआ कि किसी लड़की ने अपने फर्जी दस्तावेज लगाकर उसके स्थान पर सीट हासिल कर ली थी। आस्था अपने अधिकार की अभिरक्षा के लिए न्यायालय के समक्ष दरकार लगाने को मजबूर हुई। मालूम हुआ कि बालिका के पिता आर्थिक रूप से सक्षम थे तो उन्होंने बेटी आस्था का एडमिशन किसी प्राइवेट कॉलेज में डेंटिस्ट की पढ़ाई के लिए करवा दिया और कोर्ट केस चलता रहा। कुछ महीनों बाद आस्था केस तो जीत गई पर चूंकि उसके पिताजी ने एडमिशन प्राइवेट कॉलेज में करवा दिया था तो वह सुनवाई में नहीं जा पाई। जज साहब जो इस केस की सुनवाई कर रहे थे ने इसका लाभ उठाकर उस सीट पर अपनी भतीजी को एडमिशन दिलवा दिया। आस्था जब एडमिशन लेना चाह रही थी तो मालूम हुआ कि जज साहब ने ही खेल खेल दिया अब वह न्याय की गुहार किससे लगाए। कुछ बरस पहले की बात है मेरे एक करीबी साथी ने एक किस्सा सुनाया था जिसे सुनकर मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सका किंतु लगभग ऐसा ही कुछ किस्सा दो रोज पहले मेरे साथ तब हुआ। सरक...