बबा की पहली बरसी


पिता-पुत्र से अधिक,
ज्यूँ राह के दो पथिक,

भोलौलो सीखा, जागर सीखे, 
सीखे किस्से, सीखी आपसे कहानियाँ,

   बेशक आपने अपनी दुनिया सिखाई,
पर आज वह सब ही दे रहा दूर तक दिखाई,

आपसे सीखी ताश की पहचान,
संग ही जाम छलका मिटाई थकान,

अक्सर ईजा पर बहुत लिखा मैंने पर,
बबा! आप मेरे लेखों में समाते ही नहीं,
आपकी इच्छाओं और रुचियों का स्थान हमेशा सर्वोच्च है और रहेगा।






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