Posts

Showing posts from June, 2019

वो...

मेरी कलम थामकर लिखता है, बेशकीमत है फिर भी बिकता है, नासमझ तो जरा भी नहीं असरार जानता है, जाने पर उसे सूरज में भी चाँद दिखता है...! लिखने को सीरसागर भरा पड़ा है उसकी स्याह में, मग़र....! व...

"टीस"

वो शख्श मुझे कहीं और का रुख़ करने ही नहीं देता,,          जब भी सोचा कि अब कुछ दूरियाँ इख़्तियार कर लूँ .........तब  कुछ यूँ हो जाता है कि वो पगफेरे की सी रस्म अदा करने आ ही जाता है,,,,,,वापस मेर...
न चलने में रौनक रही, न बैठे रहने में सुकून कहीं, ए ठिठुरन लौट आ जीवन में मेरे, देखना जान न लेले ये जून कहीं, बस्तियां सींचने को पानी मांगते है वो, और हम यूँही बिखेरते है खून कहीं, य...
एक अंधेरे को सिया है उजाले में बैठे, तुम चाँद-तारों की बहुत कहते हो, सुनो साहब, मैंने कल ब्रह्माण्ड की सैर की है घर में लेटे.! उजाले तो मिले नहीं मिलेंगे कैसे, अंधेरा जो सिया था तो उजाले बिखेरेंगे कैसे.? उनसे कह दो हम तैयार हुए बैठे है, ये न कहना कि पेट भरके लेटे है, अभी तो पथ के कंकड़ ही हटाये थे बहुत, सुना कि दस्ते पूरे पत्थरों को लिए बैठे है, कल तक जो सोया था उस बीहड़ में देखो, सुना है मेरे गाँव का वो आदमी जागने लगा है, अरे सुनो कभी हमारी याद आये तो कहना, कहीं भूल न जाओ कि हम भी इसी गाँव के बेटे हैं..!

बचपना

Image
आवाज़ आती थी चीखने की, कोई कह रहा था शैतान है, सुनो, आज फिर दोपहरी हैरान है, न पूछो उदासी का सबब साहेब, हमने भी पाई है जवानी बचपन खोकर, यूँ तो खुशनुमा ही देखा है चेहरा उसका, वो रह-रह के रोया करता है खिलौना तोड़कर...!