शुभकामना संदेश..

 सप्तपदी देखी तेरी, सुकूँ भी देखा चेहरे पर,
        निभते विधान भी देखा और
     नव पथ गमन का परिधान भी देखा।

बस इतना कहना है ख्वाब शहर के वाशिंदे तुझे:-

   सजी-धजी भी तुम कलन्दर सी लगी,
हालाँकि तुम हर हाल में मुझे सुंदर ही लगी..!



टीस ये है कि:- 

सोचता हूँ होता संग तेरे, बस तोड़ ये डंडीर न सका,
          प्रेम भरा था हृदय में मेरे भी,
   मैं हनुमान न बन सका, सीना चीर न सका।



                                               14.05.2025

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