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कभी याद भर कर लूँ तो बस रोना होता है,
सही है, होता वही है जो बस होना होता है।
सोचता हूँ पीतल का रंग भी कुछ ऐसा ही था,
धारणा ही गलत थी कि सुनहरा बस सोना होता है।
पाने को जहाँ में सब तो है मगर,
किसने कहा था क्या कुछ खोना होता है.
तकदीरे-उत्फ़ में यकीनी तो नहीं हुई मगर,
अब लगता है होता वही है जो बस होना होता है।
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