कलम सवाली


राहत पूछते नहीं जुबां से हमारे साहब,
कलम जब देखो हमेशा सवाली होती है।

दौर बहुत लम्बा नहीं था बस यूँ लगता है!
एक लम्बी सी किताब थी जिंदगी, पहले से उसने पूरी पढ़ डाली होती है।

हर जगह गर्त ही गर्त, पहाड़ ही पहाड़ दिखते है मुझे,
न कोई दिल मिलता है इधर, न कोई जगह खाली होती है।
कलम उसकी अब भी हमेशा सवाली होती है।




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