फाम

वो नहीं बस उसकी फाम ही आती है,
कुछ नहीं उससे मेरा तार्रुफ़ अकाम ही आती है,
हां पर कई दफ़े भूल जाता हूँ कई दफ़े फाम ही आती है,
पहले पहल डीठ थी सिर्फ, 
अब तो डीठ कम फाम ही आती है। 
कुछ शनै-शनै सा था आना, सुनो अब धड़ाम ही आती है।
वो नहीं बस उसकी फाम ही आती है।

Comments

Popular posts from this blog

पहाड़ का रोना