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बस कभी सोचता हूँ कि किसी का तुम सा न होना,
तुम सा न सोचना, बेवकूफी नहीं हो सकती।

         हां ये है कि तुम्हारी बात से हम इत्तेफाक रखते हैं।
पर हमेशा कोसना और कोसते चले जाना, किसी आइए विषय पर जिसे आप पसन्द नहीं करते।

शायद अच्छा नहीं।

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