आओ एक उजियारा लिखते है

आओ एक उजियारा लिखते है,
अंधेरों की बसावट में एक सवेरा लिखते है,
थक गए है मेहनत कर, 
सुनो कब तक यूँही बैठे रहोगे,
चलो सफर को थामकर कुछ प्यारा लिखते है,
आओ मिलकर एक उजियारा लिखते है।

भले धूप बहुत है इस सफर में सुनों,
रोशनी चुरा कर चलो सफर रात का करते है,
कुछ बवंडर आते है, आते रहेंगे डगर में,
चलो बदलाव बिन बात का करते है,
 हर तीज की तरह आ जाता है अंधियारा,
 क्यों न इसे ममेरा-फुफेरा लिखते है,
आओ एक उजियारा लिखते है।









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