बिन मतलब
कभी बनके शाम आजा,
कभी बिन बात के सहर बन।
नीरस से गांव के गुण क्यों,
चल ना आबाद जैसे वो शहर बन।
अच्छा तो क्या नहीं लगता, सब लगे है,
कभी बिन मलतब आये जैसे वो पहर बन।
क्या पा लिया है उस रस्ते चल-चलाकर,
गौरव से जहाँ चल सके, चल ना; वो डगर बन।
कितना सरल बना दिया है ना तूने इसे! जीवन है तेरा ।
आके सब फँस जाये, चल ना वो भँवर बन।
कभी तबाही की लहर बन, कभी चमचमाती दोपहर बन,
कभी बनके शाम आजा, कभी बिन बात के सहर बन।
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