बरी
महज़ दो गज चले थे कि ,
उन्हें भारी सा लगने लगा,
कुछ अतीत ने बांधा उन्हें,
कुछ समय ने प्रभाव में लिया,
उनके शब्द उनकी हुकूमत,
उनकी ही किलेबंदी है,
कोई जाकर बतला दो कि,
आज़ाद थे वो आज़ाद रहेंगे,
कैद कहाँ थे, किसके भीतर,
कैसे कहूँ तुम्हें बरी किया
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