शोर

कितना अहम होता है ये शोर जो नहीं सुना जाता,
कितना बेदर्द होता है ये चोर जो नहीं चुरा जाता,
कितना मजबूर होता है ये छोर जो नहीं मिला जाता।

तन्हाई अक्सर आँसू बनकर बह जाती है मेरी,
ख़ामोखा के लोगों का होना, तन्हाई नहीं मिटा जाता।

अक्सर दम्भ करते हो जिनके होने का तुम,
क्या हक़ीक़त में वो साथ नहीं छुड़ा जाता...

      ये जो कोलाहल मचा है भीतर तुम्हारे सुनों,
कितना अहम होता है ये शोर जो नहीं सुना जाता।

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