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Showing posts from December, 2018

दरख़्त

रह गया अनसुना दीवारों के पीछे, कुछ राज दफन हुए उन दरख्तों के पीछे, बन्द किये थे बीते शरद हवा के डर से, कोई सुराखी का हुनर जानता हो तो आये, चर्चा है कि कुछ तबाह हुआ था, राज़-ए-निहाँ ...

वो अतीत था...!

एक लम्हा बसर नहीं होता हमसे, तुम जीवन संग लेने को कहते हो, वो दौर जुदा था समझाऊं कैसे, तुम अबके दौर में भी उन तक चलने को कहते हो, वो जो बीत चुका अतीत था अब जुड़ा नहीं है मुझसे, तुम अब ...

कैसे भूल जाऊं

वो मेरे बुरे दिनों का साथी था, उसे कैसे भूल जाऊं, वो मेरी आग का पानी था, उसे कैसे भूल जाऊं, वो दौर मेरी ज़िंदगी का जहाँ कोहरा ही कोहरा था फैला हुआ,, वो मेरी राह का जुगनू था कैसे भूल ज...

अक्स

जरा सा अक्स देख लूँ तो पूरे दिन उतरता ही नहीं, तू होता तो चढ़ लेता सारी सीढ़ियों को शायद, यूँ तो कभी उतरता ही नहीं.. तू होता तो चमक इन सीढ़ियों की खिंचतीं रहती अपनी ओर, चमकदार होता मै...

डीठ, जरुरी तो नहीं...

चले जाओगे क्या उन बदुरस्त राहों में, बल जहां ठौर-ठिकाने बमुश्किल मिला करते है, एक लेख बन जाओगे गर चले गए, क्या सच में उस राह मुड़ जाओगे? मुड़ना हुआ भी तो बस एक लेख की खातिर.... अगले ही ...

एक बार फ़िर .........

        कल रात माँ फिर सपने में आई थी,,......... पता नहीं क्यों आयी थी? जाने क्या कहना चाहती थी? जाने क्या आभास करवाने आयी थी? आज सुबह-सुबह कृष्णा के मन में ना जाने कितनी उहापोह सी चल रही ...

"सवाल"

       आज फ़िर गाँव में शादी समारोह था,,,, और आज भी वो शादी समारोह में शामिल होने नहीं गयी,, कृष्णा बार-बार जाकर पूछ रहा था कि शादियों में जाती क्यों नहीं हो, गावँ में ना जाने कितनों ...

ख़्वाब शहर

सुनो चंदा ................                   ज़िंदगी बहकने का नाम नहीं है ज़िन्दगी तो महकने का नाम है,, क्यों कर ख़ुद को ख़फ़ा करें हम किसी शख़्स के ख़ातिर,, क्यों किसी को इजाज़त दें दख़ल देने की अपनी ज़...