"सवाल"
आज फ़िर गाँव में शादी समारोह था,,,,
और आज भी वो शादी समारोह में शामिल होने नहीं गयी,,
कृष्णा बार-बार जाकर पूछ रहा था कि शादियों में जाती क्यों नहीं हो,
गावँ में ना जाने कितनों की शादी होती हैं और तुम किसी भी शादी या किसी अन्य समारोह में क्यों नहीं जाती ,,,,,,,.........??????????????????
अपने लड़कपन में ना जाने कितने सवाल कर देता,जिनके जवाब देना माँ उचित नहीं समझती थी,
ये जो कृष्णा इतने सारे प्रश्नों की बौछार करता था ना ,
ये सब माँ के कलेजे को चीर जाते थे,,,
माँ ज़रा लम्बी और गहरी साँस भरकर उसकी बात टालने के लिए उसे किसी और काम में लगा देती ,,और
फिर किसी कोने में जाकर कोसती वक़्त को और अपने नसीब को ,,
यूँ ही वक़्त गुजरता रहा और ऐसे ही ना जाने कितने सवाल हर रोज़ कृष्णा अपनी माँ से किया करता था,,,
पर इन दोनों के बीच सवाल-जवाब नहीं होता था,
बल्कि सिर्फ सवाल ही सवाल होता था वो भी कृष्णा की ओर से,,
माँ या तो उसे टाल देती या फिर चुप्पी साधे रहती,,
ये छोटा बच्चा जिसे ना दुनियादारी की समझ ना वक़्त के खेल का कुछ अंदाजा होता,,बस अपनी धुन में हर रोज़ ना जाने कितने सवाल करता जो माँ को अंदर-ही-अंदर कचोटते रहते,,,,,,,
वक़्त बदला ,उम्र बढ़ी,परिस्थितियां बदली............................
माँ कृष्णा के उन सवालों के जवाब दिए बिना ही दूसरी दुनियाँ में चली गयी...............................
आज उस वक़्त को याद करते-करते कृष्णा की आँखें दरिया बन जाती हैं और यूँ बहती हैं जैसे कि समंदर में मिलने की जल्दी हो उसे,,,,,,
आज समझ में आया कि माँ क्यों शादियों में नहीं जाती थी,,क्यों हमेशा मुझे टाल देती थी,क्यों चुप्पी से अपने कलेजे को एहतराम देती थी,,,
क्योंकि गरीबी का आलम ये था कि पहनने को कपड़े नहीं होते थे,,
जो कपड़े थे वो बस तन भर ही थे,,
नए कपड़ों का होना तो दूर,उनके लिए सोचना भी अनर्थ था,,
जब शादी में जाने लायक कपड़े नहीं हैं तो कैसे माँ शादी में जाती,,
और कैसे कृष्णा के सवालों के जवाब देती,,,,
आज सफलता जब कदम चूम रही है तो क्या कमी है कृष्णा के पास,,
वर्तमान में तो सब कुछ है ना..........???
पैसा,
कपड़ा,
घर,
जेवर,
घर-परिवार,
नहीं....नहीं....................................
अब भी कहाँ सब कुछ है कृष्णा के पास,,,,
अब सब है पर "माँ" नहीं है......................
Comments
Post a Comment