दरख़्त

रह गया अनसुना दीवारों के पीछे,
कुछ राज दफन हुए उन दरख्तों के पीछे,
बन्द किये थे बीते शरद हवा के डर से,

कोई सुराखी का हुनर जानता हो तो आये,
चर्चा है कि कुछ तबाह हुआ था,
राज़-ए-निहाँ ये कि क्या था आबाद कुछ बरस पीछे,

जाने इक़बाल मेरा था ही नहीं,
जाने क्या जुस्तजू रही उसकी मेरे पीछे,
इल्तजा हर बज़्म में उनसे की हमने,
जाने उकुबत हुई है किस जुर्म की मुझे,

वो दरख्तों-दीवार सी लिया था कुछ बरस पहले,
जाने वजह क्या रही सुराखे यार के पीछे,
वो कहा करते है बिखेर जाएंगे,
वाज़िब हो कोई वजह तो समेट जाने के पीछे,

दरख़्त छोटे है कि गहरे,
ये जिस्म की बात होती तो भला होता यारा,
झाँक लो यहाँ हर कोना खुदा है सीने के नीचे,

रह गया अनसुना दरख्तों के पीछे, दीवारों के पीछे....

Comments

  1. Lajawab..... Chunotiyun ko chirte hue aage aae ho,
    Chunotiyun ko malum tha Kabil ho har mukam ke tum,
    Tabhi tumhe ruksar kr khushiyan vo khud gum ho gai♥️🙌

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