एक बार फ़िर .........
कल रात माँ फिर सपने में आई थी,,.........
पता नहीं क्यों आयी थी?
जाने क्या कहना चाहती थी?
जाने क्या आभास करवाने आयी थी?
आज सुबह-सुबह कृष्णा के मन में
ना जाने कितनी उहापोह सी चल रही थी रात के सपने को लेकर.....
वैसे तो माँ का यूँ ख़्वाबों में आना कोई नई बात नहीं थी,,
पर आज ये कसमकश इसलिए हो रही थी क्योंकि कल के सपने के बाद आज सुबह कृष्णा को एक टेस्ट देने के लिए दूसरे शहर निकलना था,,
और ख़्वाब की ताबीर यूँ महसूस हुई कि ना जाने माँ अच्छे के लिए आयी थी या कुछ आगाह कराने आयी थी,...
अच्छा बुरा तो पता नहीं पर माँ जब भी आती है खुशियों की सौगात लेकर ही आती है,,
माँ अपने आप में ही एक सौगात है,फ़िर उसके दिये हुए पैग़ाम पर तो कोई शक-समाधान ही नहीं,,,,
आज शाम के वक़्त जब कृष्णा का टेस्ट सही से निपट गया तो वो अपने शहर की ओर रवाना हो गया,,,
और उसके मन में बस यही चल रहा था कि ..........
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माँ शायद आशीर्वाद देने आयी थी रात में,,
क्योंकि मैं ही तो उसका सबसे लाड़ला हूँ,,
और सबको तो वो अपने जाने से पहले ही स्थिर करके गयी थी उनकी ज़िन्दगियों में,,,,,,बस मैं ही था जो अकेला था तब भी और आज भी,,,,,,,,,,
इसलिए हर अच्छे में और हर बुरे में वो पास आकर सहला ही जाती है,,
फ़िर क्या फ़र्क पड़ता है कि वो मौजूद नहीं है ,,,,
कहीं नहीं है,,
बस ज़िंदा है तो उसका "वजूद अर्थात मैं" (उसका राजकुमार).........................
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