ख़्वाब शहर

सुनो चंदा ................
       
          ज़िंदगी बहकने का नाम नहीं है ज़िन्दगी तो महकने का नाम है,,
क्यों कर ख़ुद को ख़फ़ा करें हम किसी शख़्स के ख़ातिर,,
क्यों किसी को इजाज़त दें दख़ल देने की अपनी ज़िंदगी की रुमानियत में,,
बताओ ना क्यों???????

दरिया सी फ़ितरत रखें तो अच्छा होगा ना..............
"जो मुझ में समा गया वो समंदर तक साथ गया",,

"ये फ़लसफ़े हैं ज़िंदगी के...............आज जहाँ मेरा बसेरा है,,
वहाँ कल किसी और का सवेरा होगा,,
आज जहाँ मेरा आशियाना है,,
वहाँ कल किसी और का शामियाना होगा",,,

 आओ  कभी हमारे शहर,,.........................         
           " ख़्वाब शहर"

बड़ा रुमानियत भरा शहर है साहेब,,,,,,
तबियत ख़ुश हो जाएगी तुम्हारी,,

अच्छे-बुरे से परे,
सही-गलत से परे,
रास्ते-मंज़िलों से परे,
अपने-परायों से परे,
तुम्हारे और मुझसे भी परे.....

एक रूहानी शहर जहाँ सुकून बाहें फैलाए इंतज़ार करता है हर उस शख़्स का जो.....................

उदासीन हो गया है,
जिसमें ठहराव नहीं है,
जिसे मजबूरियाँ यूँ जकड़े हुए है मानो अब ज़िन्दगी की रफ़्तार थम सी गयी हो,,.......................



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