वो,
एक साज, एक आवाज़, एक परवाज़....
एक बेजिरह अतीत...
कि एक खूबसूरत आज..
क्या नाम दूँ उसे.?
सवाल में क्रमण, बातों में भ्रमण, वर्तमान की शरण....
जीना आज का है...
प्रेम उसका आमरण..
क्या बयाँ करूँ उसे.?
रंग का सजल, भाव का अफ़ज़ल, मुझमें सदा फ़ज़ल....
इक बार दिखा था यूँही ही निकला...
उसी की आँखों का काजल..
क्या दिखाऊँ उसे.?
एक हिसाब, एक गिरदाब, द्वार की मेहराब....
बेनजीर इंतख़ाब...
कि सच से भरा ख़्वाब..
क्या सोचूँ उसे.?
सब
ReplyDelete"वो" रवानी है शायद,
ReplyDeleteतुम्हारी ज़िंदगानी है शायद,,
बेजिरह अतीत ....पता नहीं,,,,.....
पर तुम्हारा हबीब है शायद,,
क्रमण, भ्रमण का कुछ पता नहीं है,,,
वो तुम्हारे ख़्वाबों की ताबीर है शायद,,...
वो सिरफिरी है,,शायद,,
तुम्हारी बंदगी है,,शायद,,
सजल,फ़ज़ल........... नहीं मालूम..
वो तुम्हारे अल्फ़ाज़ों की एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल है शायद,,....
वो तदबीर है,, शायद,,
तुम्हारी तक़दीर है,,,,शायद...
ख़्वाब,इंतख़ाब,,,,,,,तो पता नहीं.......
वो तुम्हारा राज़ है शायद,,.....