क़तरा.

कुछ दिनों से नहाया नहीं हूँ,
विचारों का मैल जमता जा रहा है मुझ पर,
बेपरवाह सा बनने को ख्वाहिश लिए गुजरता रहा
बिना किसी काफ़िले के अच्छाई-बुराई को दरकिनार रखकर,
कुछ तो खटका था सीने में वो तुम थे कि कोई रोशनाई सी दूधिया रंग में रंगने आई थी,

अहा! देखो न घुटन सी होने लगी है उस दूधिया रंग को कुछ दिन मुझ पर चढ़कर
कुछ गिने रोज ही तो मुझ पर वो रंग चढ़े हुआ था,

उस रंग की चाहत थी इस बदरंग में चढ़कर अलग-थलग पड़ने की,           क्या कहा! अलग.?

क्या कभी सूरज की किरणें रंगों में नहाती हुई दिख जाए तो सवाल करना क्यों विविध है उसके रंग किस रंग को कहाँ से लाया....कहाँ किस रंग का रास्ता...कहाँ उसकी मंज़िल......

?

क्यों रंगत चढ़ा ली खुद को इस रंग की सवाल नहीं है बस जिज्ञासा है......

पाना भी है खोना भी मुझे पर

हिस्सा बनाकर, किस्सा बनाकर.?  नहीं....

केवल हिस्सा, किस्सा कैसे .... माना कि वो पंछी बादलों को पाने की चाहत रख भी ले पर बादल हो तुम बरस तो जाओगे पर तरस भी जाओगे..... जमीं नहीं हूँ मैं......

वहम अच्छा हूँ, बिन वजहों आकार कहाँ है बताओ तो..

मेरा किस्सा नहीं मैं किस्सा हूँ मेरा हिस्सा नहीं मैं हिस्सा हूँ..

एक पोखर को देखा क्या बड़ा ही बदमस्त है अपनी दुनिया में दो-चार मछलियाँ हैं, दो-चार घास की पुलियाँ, बस उसे लगता हैं संसार उसी में है...

किसी रोज नदी से मिला तो ठिकाने अक्ल आई कि उसका पानी सड़ चुका हैं एक महक सी रह गयी इस पोखर में
नदी हो तुम किसी सागर में जा मिलोगे मैं महक लिए पोखर सा हूँ जिसे अपने अस्तित्व पर गर्वित होना होता है बस चार जीवों को पानी पिला सकता हैं एक नदी को शामिल कैसे करे ये तालाब...

उस गुलदस्ते की फूल की मानिंद तुम चमकते हो और मैं फूल की तह पर उगने वाली खरपतवार हूँ खरपतवार...
फसलों को चौपट तो कर सकता हूँ पर उसे अस्तित्व नहीं दे सकता.......

ये विचारों का मैल बढ़ रहा है धीरे से इन्हें धुलने का समय लगता है हाथ से निकल गया है दाग रह जायेंगे धुलने पर भी इसमें असंख्य...

अच्छी कही मोहोब्बत नहीं होनी मुझे उसने मोहोब्बत होगी भी कहाँ अब छन्नी में पानी कहाँ ठहरता हैं, कई बार छलनी हुआ ये घरौंदा साहब कभी समय ने मारा तो कभी असमय ने थपेड़ा.... अब सच में कतरा बनने को आमादा हूँ बस कोई आये और भास्मित कर दे मेरी देह को...

कतरा बनकर भी लहू का उस पानी को आग दे जाऊँगा जो मेरी देह को कतरा करने को लहलहायेगी...........







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