पहाड़ का रोना
आज के समय में पहाड़ के गांव जिस तरह ख़ाली हो रहे हैं उस दशा में पहाड़ की दशा देखें किस तरह रो रहा हैं पहाड़।
अरे विकास के ठेकेदारों
पलायन की गति तो देखो
विकास तुम्हारा कहाँ गया?
रोनी सी हालत हो गयी
चहल-कदमी भी खो सी गयी
अकेला इस कदर हो गया
सन्नाटा भी जैसे सो सा गया
रोमांस रौनक का घर था कभी
डर का आज प्रयाय हो गया
अरे! विकास के ठेकेदारों
विकास तुम्हारा कहाँ गया?
गर्वित सा सिर था मेरा सफ़ेद टोपी कहाँ गयी?
हरे-भरे वस्त्रों को मेरे
देखो ना जाने कौन फाड़ गया?
अरे विकास के ठेकेदारों
विकास तुम्हारा कहाँ गया ?😨😥
पलायन
यो कास दिन ऐगो आज
घुघुती ले बासन छाड़ि हालि
चखोर ले चहकन छाड़ि हालि
फूलों ले महकन छाड़ि हालि
यो त यो
पलायन कों या विकासकी कमी कों
आदिमले पहाड़ों में रौन छाड़ि हालि
अब त स्तिथि ऐस ले हैगे
नानतीनों कि चहचहाहट खोय गै
यो कास नानतिना खोर पलायन एगो
बूढ़ा पहाड़ का आज आखँ पटाय रेण
कुकुरकि भौ-भौ ले दिन हूं
त बिल्ली की म्याऊँ-म्याऊँ ले होय रे रात
यो कस दिन ऐगो आज........?
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