"ज़ख्मों का बेताज़ बादशाह"
एक और ज़ख्म ताजा किया आज मैंने उसका...... कभी-कभी तो लगता है कि उसके अतीत का शीशा दिखाने ही मैंने उसकी जिंदगी में प्रवेश लिया है,,मेरी ज़िंदगी में होने वाली हर उठा-पटक से उसको ...
मेरी डीठ से दुनिया.... और फाम में बसा अतीत...... (डीठ-दृष्टि फाम-याद)