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Showing posts from January, 2019

"ज़ख्मों का बेताज़ बादशाह"

एक और ज़ख्म ताजा किया आज मैंने उसका......         कभी-कभी तो लगता है कि उसके अतीत का शीशा दिखाने ही मैंने उसकी जिंदगी में प्रवेश लिया है,,मेरी ज़िंदगी में होने वाली हर उठा-पटक से उसको ...

अतीत तो अतीत है

अतीत तो अतीत है, फिर से जुड़ना, फिर से जूझना, फिर से लड़ना, फिर से चलना, फिर से दौड़ना, यही तो रीत है, अतीत तो अतीत है। न छुटेगा, न भूलेगा, न टूटेगा, न संभलेगा, ये तो गीत है, अतीत तो अतीत है...
बरसों की मेहनत पर भारी चार रोज के सपने हो गये, गद्दी मंथरा की हो गयी अबकी राम बनवास ही रह गये, महलों की जगमगाहट मुस्कराते रही, झोपड़ी में रहता था जो, झोपड़ी का रह गया। बाबू वो अदबो...
इत्तेफाक ये नहीं कि वो मुझ जैसा निकले, हैरानी ये कि छोड़ गया था जैसा निकलने, अंबर तक राह बन भी जाती मगर, कोई शख्स उस जैसा निकले।

क्या कुछ नहीं देखा

क्या कुछ नहीं देखा,,                            रुदन में , क्रंदन में,                            पयस् लिए इन नयन में,                            विलापते स्वपन में,             ...

प्रतिक्रिया

इस कदर उन्स हुआ उनसे, जैसे हर हरफ़ हुआ उनसे, बातें तलवार की मानिंद उनकी, निकली है बात काटने उनकी, सोचे थे राजे वफ़ा निकलेंगे वो, लोग कहते है मुखबिरी करेंगे वो, सुनना हाले यार रहा ह...

लाल वो बिन लाली का

लाल वो बिन लाली का, रंग भला वो कैसे पाता.? उसे साथ की आदत रही, दूरी भला कैसे सहता.? धड़ा वो बिना सिर का, सुंदर भला कैसे लगता.? बदरंग पोशाक उसकी, अच्छा भला वो कैसे दिखता.? लोटा वो बिन पेंद...

"बीस हज़ार की ज़िंदगी"

आज फ़िर एक बार कृष्णा को मैंने अतीत होते देखा,,,,         बातों ही बातों में बात "सल्फॉस की तीन गोलियों" में आकर थम गई,,,,, वो बताता है.....    बात उन दिनों की है जब ऋषभ एक एनजीओ में नौकरी कर...

डिग्री

डिग्री, बीस जमा तीन बरस के बाद मिली, ऐसी अद्भुत कि उसे भूत नहीं बनते देखना, वो दीद की बातें, ये इंतज़ार के लम्हें, कुछ आधार तो दे जाएंगे हमें, धड़कनों के सागर में नैय्या हमने उतार र...

अन्तर्द्वन्द

उस एक महल की ख्वाहिश है महलों में रहकर, क्या कशक उठी है जाने कई बार आया हूँ उस द्वार से लौटकर, जाने क्या रखा है उस महल की दीवारों के पीछे, ऐसा नहीं, कोशिश-ए-दस्तक कई बार हुई, हर बार ...

बन जाओ....

मेरे कदमों के निशान बहुत है, भरत बन के पूजूँ तुम, राम के खड़ाऊ बन जाओ, आँसू बन न धुल जाये, जिसे पी अमर बनूँ, तुम सुधा से हूबहू बन जाओ, सलवटें पाई हर राह है, ओढ़ सुशोभित आजीवन होऊँ, तुम उ...

क्या बनाऊँ तुझे

मात्र , एक कुलबुलाहट, एक बानगी, एक अल्फ़ाज़, एक आरजू, एक फितूर, एक उन्माद, एक ख्वाब, एक दिलासा, एक तमस, एक उजियारा, एक बसन्त, एक सारंग, एक शफरी, एक बयार, .....कि मात्र एक छटपटाहट, क्या लिखूँ ...

सखा

झोलिदा सा सफर,                     कोई ज़हीर न हुआ, फ़ाकिर से घूमते रहे,                     कोई शरीर न हुआ । इज्तिराब भीतर आह भरती रही मेरे,                  अचंभा है कभी इज़्हार न ...

"कीमत"

    मैंने दीदी से कह दिया कि जब ईश्वर मुझे बुलाने आये तो कह देना कि मैं घूमने निकल गया हूँ,,........           दअरसल बात ये थी कि मेरी जो एक मात्र जीन्स थी ना वो धोकर छत पर सुखाने डाली थी,,,...

वो

मेरी नींद का ताना-बाना तोड़कर, वो खिलखिलाते रहे, रोना छोड़कर.. मुरव्वत,बेकशी की इक धुन सी पकड़ी है उसने, वो रतजगा कर रहे हैं, सोना छोड़कर.. मेरे सीप के अनगिनत मोती बिखरे थे उनकी राहों ...

उनके होने की बीमारी

जाने मुझ तक मेरी पहुँच कहाँ तक रही, उनके होने की बीमारी कहाँ तक रही, हर नज़र से अलग ख़्वाब सजाये थे मैंने, मेरे हृदय में उनकी समायी कहाँ तक रही. मेरे वालिद कहा करते थे मुझे अब समझ आ...

एक कमीज़ वाला

आज अपनी मुँहबोली बहन को उसके जन्मदिन पर हरे रंग का कुर्ता उपहार में देने के बाद वो बातें करते-करते पता नहीं कहाँ खो गया............!         पूछा तो मालूम पड़ा एक अतीत है खंजर की तरह जो बा...