प्रतिक्रिया
इस कदर उन्स हुआ उनसे,
जैसे हर हरफ़ हुआ उनसे,
बातें तलवार की मानिंद उनकी,
निकली है बात काटने उनकी,
सोचे थे राजे वफ़ा निकलेंगे वो,
लोग कहते है मुखबिरी करेंगे वो,
सुनना हाले यार रहा हमें,
चस्पा दिए वो अखबार हमें,
चलना बमुश्किल जान पाया मैं,
परवाज़ कहे जिसे सीने में दफन रखता मैं,
माहताबी मेरा वही तो है,
माहताब कहें जिसे वही तो है,
कहूंगा किसी रोज शायर भी तुम्हें,
लिख तो पाऊं कभी दो हरफ़ भी तुम्हें,
नीर भी वही है उन्स हुआ जिनसे,
क्षीर भी वही है इश्क़ हुआ जिनसे,
मांगते है हर वर्ण का जवाब मुझसे,
कहत है वार्णित नहीं हूँ मुझसे,
ख़िरद तो हो मूढ़ कह दे भले जमाना सारा,
भुला के जाऊं कहाँ विसाल अपना प्यारा,
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